भारत एक ऐसा देश जहाँ मंगल तक पहुँचने की तैयारी हो रही है, लेकिन गाँवों के किसी कोने में आज भी एक बच्चा सिर्फ इसलिए कुपोषित है क्योंकि उसकी माँ को संतुलित आहार की जानकारी नहीं है। विज्ञान और तकनीक के इस दौर में कुपोषण भारत के सामने अब भी एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। पर अब सरकार सिर्फ आंकड़ों से नहीं, ज़मीन से जुड़कर बदलाव लाने की दिशा में सक्रिय है। और इसी बदलाव की सबसे दमदार मिसाल है—पोषण पखवाड़ा Poshan Pakhwada 2025।
1,000 दिनों की जादुई यात्रा: पोषण की असली बुनियाद
एक बच्चा जब माँ के गर्भ में आता है, उसी समय से उसकी सेहत की नींव रखी जाती है। पोषण अभियान इस बात को बखूबी समझता है। इसलिए इस वर्ष का पोषण पखवाड़ा विशेष रूप से उन पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित है, जो माँ के गर्भधारण से लेकर बच्चे के दो साल के होने तक का समय है। यह वही “जादुई काल” है, जो बच्चे के जीवन की दिशा तय करता है—चाहे बात हो शारीरिक ताकत की या मानसिक विकास की।
टेक्नोलॉजी की ताकत: अब कुपोषण से लड़ाई स्मार्टफोन से
कहते हैं बदलाव वहीं आता है जहां समस्या की जड़ तक पहुंचा जाए। आज जब हर हाथ में स्मार्टफोन है, तो सरकार ने भी इसे ही हथियार बनाया है। पोषण ट्रैकर ऐप के ज़रिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब न सिर्फ बच्चों के वजन और ऊंचाई की निगरानी कर सकती हैं, बल्कि समय पर खाना पहुंचाना, टीकाकरण की जानकारी देना और आवश्यक परामर्श भी इस ऐप के माध्यम से दे रही हैं।
फरवरी 2025 तक सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को इस ऐप से जोड़ दिया गया है, जिससे लाभार्थी स्वयं भी पोषण सेवाओं के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। यह सिर्फ तकनीकी पहल नहीं, बल्कि जनसशक्तिकरण की मिसाल है।
CMAM प्रोटोकॉल: अब हर आंगनवाड़ी केंद्र एक Poshan Clinic
2023 में शुरू किया गया CMAM (Community-Based Management of Acute Malnutrition) प्रोटोकॉल अब पोषण पखवाड़ा (Poshan Pakhwada) 2025 का केंद्रबिंदु बन चुका है। इसका लक्ष्य है:
- गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की समय रहते पहचान
- उन्हें नज़दीकी पोषण पुनर्वास केंद्र भेजना
- और ज़रूरत पड़ने पर मेडिकल इलाज उपलब्ध कराना
- सरकार चाहती है कि हर आंगनवाड़ी केंद्र एक पोषण क्लिनिक बने, जहाँ माँ और बच्चे को पोषण, शिक्षा और इलाज—तीनों मिले।
बचपन का मोटापा: अब ‘कम वजन’ नहीं, ‘अधिक वजन’ भी चिंता का विषय
आज कुपोषण की परिभाषा बदल रही है। अब यह सिर्फ कमज़ोरी और कम वजन तक सीमित नहीं रहा। NFHS-5 के आँकड़े बताते हैं कि 2015-16 में 2.1% से बढ़कर 2019-21 में 3.4% बच्चे अधिक वजन वाले पाए गए हैं। यह एक नया खतरा है—बचपन का मोटापा, जो आगे जाकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों की जड़ बन सकता है।
पोषण पखवाड़ा 2025 इस (Poshan Pakwada) मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और इसका समाधान भी पेश कर रहा है:
- स्कूलों में HFSS (High Fat, Sugar, Salt) फूड्स पर रोक
- कैंटीनों में ताजे फल और सब्ज़ियों को प्राथमिकता
- बच्चों के लिए रोज़ाना शारीरिक गतिविधियाँ अनिवार्य
स्कूलों में पोषण, समाज में भागीदारी
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर स्कूल में बच्चों को रोज़ एक सेब और एक गिलास दूध मिले, तो कितनी बीमारियाँ खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगी? Poshan Pakhwada 2025 सिर्फ सरकारी योजनाओं की बात नहीं करता, बल्कि वह आम नागरिक, अभिभावकों, शिक्षकों और स्वयंसेवकों को इस मिशन का हिस्सा बना रहा है।
इस साल का पखवाड़ा केवल जागरूकता नहीं, बल्कि कम्युनिटी इंगेजमेंट और परिणाम-आधारित योजनाओं की नींव पर खड़ा है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: भारत की असली हीरो
जहाँ डॉक्टर और अस्पताल बड़ी तस्वीर में दिखते हैं, वहीं गाँव-गाँव में काम करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता असली ग्राउंड फाइटर हैं। पोषण ट्रैकर ऐप, CMAM ट्रेनिंग, और स्थानीय संपर्क के ज़रिए ये महिलाएँ भारत की सेहत को नई दिशा दे रही हैं।
इस पोषण पखवाड़े (Poshan Pakhwada) में, हर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को एक ‘पोषण दूत’ के रूप में सम्मानित किया जा रहा है। क्योंकि बदलाव वहीं होता है जहाँ जमीनी स्तर पर समझ, समर्पण और संवेदनशीलता हो।
पोषण सिर्फ एक सरकारी जिम्मेदारी नहीं—ये हम सबकी साझी ज़िम्मेदारी है। तो आइए, इस पोषण पखवाड़े में आप भी बनिए एक पोषण योद्धा:
- अपने घर और मोहल्ले में पोषण के बारे में बात कीजिए
- बच्चों को जंक फूड से दूर रखिए और ताज़े फल-सब्ज़ियों की आदत डालिए
- पास की आंगनवाड़ी में जाकर पोषण योजनाओं के बारे में जानिए
- पोषण ट्रैकर ऐप से खुद को और दूसरों को भी जोड़िए
एक स्वस्थ भारत की ओर: परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम
जब भारत की परंपरा—जैसे घर का बना खाना, देसी घी, दाल-चावल—तकनीक के साथ जुड़ती है, तो एक नई क्रांति जन्म लेती है। पोषण अभियान 2025 इसी विचार को आगे बढ़ा रहा है।
जहाँ हर बच्चा, हर माँ, हर परिवार पोषण से सशक्त हो—वहीं असली आत्मनिर्भर भारत खड़ा होता है।
पोषण पखवाड़ा Poshan Pakhwada 2025 सिर्फ एक सरकारी आयोजन नहीं—यह एक सामाजिक आंदोलन है। एक माँ जब अपने बच्चे को स्तनपान कराते समय पोषण के महत्व को समझती है, एक पिता जब अपनी थाली में सलाद जोड़ता है, एक बच्चा जब स्कूल में जूस चुनता है कोल्ड ड्रिंक की जगह—तो समझ लीजिए देश बदल रहा है।
अब ये हम पर है—कि हम सिर्फ दर्शक बनें या सहभागी। आइए, इस पोषण पखवाड़े को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए और एक ऐसे भारत की नींव रखें जहाँ हर बच्चा सेहतमंद हो, हर माँ सशक्त हो और हर परिवार पोषण से भरपूर हो।
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