Prof. Pushpita Awasthi का कहना है कि समाज के प्रति लिखना खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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डायमण्ड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक ‘बातें और यादें’ Prof. Pushpita Awasthi
डायमण्ड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक ‘बातें और यादें’ Prof. Pushpita Awasthi

Prof. Pushpita Awasthi का कहना है कि समाज के प्रति और विश्व संस्कृति के प्रति अक्सर लिखना मै अपने आप को सौभाग्यशाली समझती हूं

अधिकांश संस्मरण सच्चे जीवन की महा‌गाथाओं के संक्षिप्त अंश भर हैं। ‘शब्द’ अदभुत रूप से संवेदनशील होते हैं और अत्यन्त ईमानदार होते हैं। जिसके द्वारा वे उच्चारित होते हैं। उनकी पहचान बनाते हैं, व्यक्ति के व्यक्तित्व का वास्तविक ‘पहचान पत्र’ स्थायी रूप से भाषा ही रचती है। उन शब्दों में उन शब्दों के इस्तेमाल करना का प्रभाव आ ही जाता है।

वह उस मानस-मेघा के गुणसूत्र से निर्मित होते हैं। जिसमें उस मानस के जेनेटिक कोड के गुणात्मक चरित्र विद्यमान रहते हैं । डायमण्ड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक ‘बातें और यादें’ Prof. Pushpita Awasthi । या यूँ कहें- यादें और बातें के विचार और कथनी किसी वैचारिक साम्राज्यवाद से पूरे भाषा और चिन्तन के लोकतंत्र की अस्मिता की पुस्तक है। जिसमें अर्थ- सन्दर्भ में संवेदना और अभिव्यक्ति में अनुभूति की भूमिका लक्षित होती है।

Prof. Pushpita Awasthi
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वैचारिक आलोचना की बौद्धिक‌ता से लेकर ललित निबन्धों तक की रसात्मकता की अनुभूति इस पुस्तक में होती है। इसी भाव भूमि पर केन्द्रित अनुभव और अनुभूतियों में भारतवंशियों की दस्तावेजी ऐतिहासिकता पर संस्मरणात्मक आलेखों का संचयन है तो इस पुस्तक में ‘प्रवासी जीवन संघर्ष’ की अन्तरंग ऐतिहासिक महागाथाओं का अन्वयन है।

‘हिंसा’ के गर्भ से उद्‌भूत अहिंसा पर आलेख है तो उसी स्वाधीन भारत के अमृत‌म‌होत्सव अमृतकाल के अहिंसा के आधुनिक साधकों के रूप में बाबा विनोबा के उत्तराधिकारी, डाकुओं के शस्त्र समर्पण के प्रणेता अहिंसा के आराधक एस. एस. सुब्बाराव जी पर एवं विश्व के सर्वोच्च शान्ति गुम्बद के प्रणेता प्रो. विश्वनाथ कराड जी पर आलेख संलग्न हैं।

जिससे हिन्दी साहित्य के अध्येता इन विभूतियों को जानकर अपने साहित्य की सम्वेदना के केन्द्र में इन्हें शामिल कर सके। समकालीन साहित्यिक विभूतियों में यायावर प्रो. कृष्णनाथ जी पर संस्मरणात्मकता से परिपूर्ण निबंध है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रधान मंत्री श्री अनंतराम त्रिपाठी जी के साथ बीस वर्षों की संस्मरणात्मक मार्गदर्शन की अनुभूतियों का आलेख है।

Prof. Pushpita Awasthi का कहना है कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी जी मेरे जीवन में गत 35 वर्षों से मार्गदर्शक रहें

Prof. Pushpita Awasthi का कहना है कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी जी मेरे जीवन में गत 35 वर्षों से मार्गदर्शक रहें। ‘दस्तावेज’ में मेरी शुरुआती रचनाओं से लेकर अब तक रचनाओं को छापते हुए सदैव मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन का अटूट सिलसिला बनाये रखें। ऐसे ही प्रवासी जीवन काल में डॉ. कमल किशोर गोयनका जी की यादों और बातों से समृद्ध उन पर आलेख है।

Prof. Pushpita Awasthi
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इसके साथ-साथ ‘यादें और बातें’ और ‘बातें और यादें’ पुस्तक में आलेखों से सम्बन्धित फोटो और अखबार की रपटों को, समीक्षाओं को शामिल किया है जिससे इस समय के सम‌कालीन समय को जीवंत किया जा सके। मैं आभारी हूँ डायमंड प्रकाशन के सर्वस्व श्री नरेन्द्र कुमार वर्मा जी की जिन्होंने मेरी समस्त परिकल्पनाओं को मेरी पुस्तकों में साकार करने में धैर्यपूर्ण सहयोग दिया। अन्यथा नवीनतम प्रयोग संदर्भित इन पुस्तक का यह नवीन स्वरूप दुर्लभ ही था।

‘लेखन’ अपनी तरह का गम्भीर दायित्व है। अपने प्रति, समाज के प्रति और विश्व संस्कृति के प्रति। अक्सर लिखते समय मुझे ‘रेनर मारिया रिल्के’ का कहा याद आता है और याद रहता है। रिल्के की इन बातों को शामिल करना चाहूँगी जो पाठकों की यादों में जगह बना सके “कोई भी व्यक्ति न तो तुम्हें सिखा सकता है, न तुम्हारी मदद कर सकता है- एक ही काम है जो तुम्हें करना चाहिए- अपने में लौट जाओ। उस कारण को ढूँढो जो तुम्हें लिखने का आदेश देता है जाँचने की कोशिश करो कि क्या इस बाध्यता ने अपनी जड़े तुम्हारे भीतर फैला रखी हैं

रिल्के की पंक्तियाँ लेकर कहें तो स्मृतियों का आकाश अनंत है इसका अन्तरिक्ष असीम है स्मृतियों की मन-मानस में अछोर आकाश गंगाएँ है। जिनके अनेक स्त्रोत हैं जिनसे बातें बनती है और पुन: यादों का सृजन होता है। इन्हीं शब्दों के साथ-पुस्तक आप सब पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है।

 

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