Mobile आज समाज में कॉमन चीज है।
डिजिटल युग में दुनिया और समाज बहुत आगे जा चुके हैं , लेकिन साथ-साथ अनजान बस किसी चीज से अच्छा न प्राप्त करके बुराई और समस्या पैदा हो रही है। Mobile आज समाज में सब जगह लगभग कुछ लोगों को छोड़कर सभी लोगों के पास मौजूद है। रामायण महाभारत से भक्ति, सेवा, संबंध, अधिकार, युद्ध की बातें लिखी और समझाई गई हैं ,जिससे समाज में संस्कार को बढ़ावा मिलता है, लेकिन Mobile से मात्र संदेश देना लेना मध्यम था, अब एंड्राइड मोबाइल में पूरी दुनिया ही घुसा दी गई है। Mobile समाज के लोगों को अपनी जरूरत के लिए जकड़ सा लिया है और आज यदि किशोर,युवकों बच्चों से मोबाइल छीन लिया जाए तो आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त कर देते हैं।
माता-पिता किसी काम के लिए बच्चों को बुला रहे हैं और यदि वह Mobile में व्यस्त हैं, उनका जैसा दिमाग ही मोबाइल के कारण बिगड़ा जा रहा है। समाज में नई-नई शादियां हो रही हैं तो मोबाइल पहले ही दुल्हन को दे दिया जाता है आजकल मोबाइलों में बेटियां कम बहुएं ज्यादा रील बना रही हैं। पति-पत्नी में सोच समझ, विश्वास ना हो तो 40 प्रतिशत नए रिश्ते 4 से 6 वर्ष में लड़खड़ा जाते हैं, पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगते हैं। सरकार को भी मोबाइल पर नियम व कानून बनाना चाहिए कि कौन किस दशा में कहाँ-कहाँ कौन लोग मोबाइल इस्तेमाल कर सके तो भविष्य में कम ही बुराई और समस्या फैलेंगीं ।
कुछ वर्ष पहले चुनाव में वोट साबित करने के लिए मोबाइल में लोग चिन्ह में बटन दबाकर दिखाने के लिए विश्वास करने के लिए फोटो दिखा देते थे, लेकिन आज वोटिंग के समय पुलिस पहले से ही मोबाइल न लाने की सलाह और हिदायत देते रहते हैं, जिससे समाज में छोटी-छोटी लड़ाइयां किसी को वोट देने और बूथों के कारण होती थी अब नहीं हो रही है। 2024 के चित्रकूट लोकसभा चुनाव में मोबाइल के इस्तेमाल से जनता भ्रमित हुई है, जातिवाद के बीज मोबाइल के माध्यम से बोए जाते हैं । चित्रकूट पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने एक-एक करके चुनाव में गड़बड़ी फैलाने वाले अराजक लोग जो फोन से नकारात्मक बातों को प्रयोग करके अशांति फैलाने वालों पर कार्यवाही शुरू कर दी है।
मोबाइल अच्छा ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम भी है, लेकिन जब समाज के कुछ लोगों जिनके पास दिमाग कम होता है उनके पास पहुंच जाता है तो गड़बड़ी फैलेगी ही। समाज में एक बुद्धिजीवी वर्ग विवेक से बहुत ही बड़े रूप में समाज में सम्मिलित है जो देश की भलाई के लिए सोचते हैं और कार्य करते हैं। समाज में हमेशा अच्छा और गलत कामों के कारण भी बवाल पैदा हो जाते हैं। दक्षिण कोरिया में भले ही वहां का राष्ट्रपति तानाशाह है लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए स्कूल में बच्चे मोबाइल नहीं ले जा सकते, 24 घंटा अपने पास नहीं रख सकते और स्कूल में प्यार की बातें नहीं हो सकती ऐसे नियम के पालन यहां भी भारत में कराया जाए तो सुधार होगा । नहीं तो बुद्ध जीवी लोग कहते हैं शराब का नशा में बुराई है, तो Mobile का भी नशा कम नहीं है ,तो समाज में देखो सब पागल जैसे हमेशा मोबाइल पर भिड़े और चिपके रहते हैं।
चित्रकूट से प्रमोद मिश्रा
Visit Our Social Media Pages
YouTube:@Aanchalikkhabre
Facebook:@Aanchalikkhabre
Twitter:@Aanchalikkhabre
इसे भी पढ़े:- अभिव्यक्ति मंच के माध्यम से शिक्षकों ने प्राथमिक Teacher की आर्थिक मदद का किया प्रयास