झांसी में कचरा संकट गहराया, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून का खुला उल्लंघन
कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने मंडलायुक्त से नगर निगम की लापरवाही की शिकायत की
घनी आबादी वाले इलाकों में खुले में फेंका जा रहा कचरा, जनता की सेहत पर संकट
सुप्रीम कोर्ट के स्वच्छ पर्यावरण के आदेशों की अनदेखी कर रहा नगर निगम
बिजौली समेत शहर के कई इलाकों में कचरे के ढेर, जल स्रोतों को भी खतरा
कचरा उठाने वाले कर्मचारियों को नहीं मिल रही सुरक्षा सुविधाएँ, श्रमिक कानूनों का उल्लंघन
शहरभर में बदबू और बीमारियों का अड्डा बने कचरा डंपिंग स्पॉट
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून 2016 के नियमों की झांसी में उड़ रही धज्जियां
झांसी में कचरा संकट: स्मार्ट सिटी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून का खुला उल्लंघन
कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने मंडलायुक्त से की शिकायत
झांसी में कचरा प्रबंधन को लेकर हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। शहर में स्वच्छता की स्थिति लगातार बिगड़ रही है, और नगर निगम द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून 2016 का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल झांसी मंडलायुक्त विमल दुबे से मिला और नगर निगम की लापरवाह कार्यप्रणाली को लेकर कड़ी आपत्ति जताई।
प्रतिनिधि मंडल ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने कचरा निस्तारण के उचित प्रबंध करने के बजाय घनी आबादी वाले इलाकों में कूड़ा डालना शुरू कर दिया है, जिससे हजारों नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सबसे गंभीर स्थिति बिजौली इलाके में बनी हुई है, जहां खुले में कचरा एकत्रित किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी
प्रतिनिधि मंडल ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने हर नागरिक को स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार दिया है, लेकिन झांसी नगर निगम इस मौलिक अधिकार की धज्जियां उड़ा रहा है।
नगर निगम के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये से ठोस अपशिष्ट का अनियंत्रित निस्तारण न केवल पर्यावरण बल्कि भूमि जल स्रोतों के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कचरे से रिसने वाले जहरीले पदार्थ भूजल को दूषित कर रहे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में जल संकट और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
कचरा उठाने वाले कर्मचारी भी असुरक्षित
नगर निगम द्वारा कचरा निस्तारण में न केवल जनता की अनदेखी की जा रही है, बल्कि कचरा उठाने वाले कर्मचारियों के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि इन कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण, जैसे कि दस्ताने, मास्क और बूट तक नहीं दिए जाते। यह सीधे-सीधे श्रमिक कानूनों का उल्लंघन है और इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
शहरभर में फैला कचरे का साम्राज्य
नगर निगम द्वारा बिजौली के अलावा पूरे महानगर में विभिन्न स्थानों पर कचरा डंप किया जा रहा है। इन इलाकों में शामिल हैं:
– पुलिया नं. 9
– हीरापुरा नगरा
– होम गार्ड ट्रेनिंग सेंटर (दतिया गेट बाहर)
– सीपरी बाजार
– ताज कम्पाउंड (नंदनपुरा)
– रेलवे कॉलोनी
– संगम विहार
इन स्थानों पर खुले में पड़े कचरे के ढेर न केवल बदबू फैला रहे हैं, बल्कि बीमारियों को भी न्योता दे रहे हैं। स्थानीय नागरिक लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं दिख रहा।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून की धज्जियां
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कानून 2016 के तहत यह अनिवार्य है कि गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग एकत्र किया जाए, लेकिन झांसी में यह नियम भी केवल कागजों तक सीमित है।
यहां सारा कचरा एक साथ उठाया जा रहा है, जिससे कचरे के उचित निस्तारण में बाधा आ रही है।
इसके अलावा, ई-कचरा प्रबंधन (जैसे खराब मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान) के लिए भी अलग से निस्तारण प्रक्रिया होनी चाहिए, लेकिन नगर निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
भरी हुई खंतियां और गड्ढों में डंप हो रहा कचरा
झांसी में जिस तरह से बिना किसी उचित योजना के कचरा डंप किया जा रहा है, वह भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि जिन खंतियों में कचरा डंप किया जाता था, वे पूरी तरह भर चुकी हैं, और अब नगर निगम गड्ढों में कचरा डालकर मामले को रफा-दफा कर रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो अगर जल्द ही ठोस अपशिष्ट निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले वर्षों में झांसी को बड़े स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।
ललितपुर मेडिकल कॉलेज में भी बदहाल हालात
कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने केवल कचरा प्रबंधन का मुद्दा ही नहीं उठाया, बल्कि ललितपुर मेडिकल कॉलेज की खराब स्थिति को लेकर भी मंडलायुक्त से शिकायत की।
प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। वहां चिकित्सकों की भारी कमी है, जांच सुविधाओं का घोर अभाव है, और मरीजों को आवश्यक दवाएं भी समय पर उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।
इसके अलावा, मरीजों को अनावश्यक रूप से झांसी रेफर किया जा रहा है, जिससे उनकी जान को खतरा बढ़ रहा है।
मालती सोनी की मौत: प्रशासन की लापरवाही उजागर
प्रतिनिधि मंडल ने हाल ही में प्रसूता मालती सोनी की मौत का मुद्दा भी उठाया।
मालती सोनी की मौत उचित इलाज के अभाव और चिकित्सकों की लापरवाही के कारण हुई। यह झांसी और ललितपुर के सरकारी अस्पतालों की जमीनी हकीकत को उजागर करता है।
कांग्रेस ने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी चिकित्सकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
मंडलायुक्त ने दिया जांच का आश्वासन
कांग्रेस के विरोध और मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए मंडलायुक्त विमल दुबे ने जांच कराने का आश्वासन दिया।
हालांकि, झांसी के नागरिकों का कहना है कि यह केवल एक और आश्वासन है, जो पहले की तरह शायद ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
क्या प्रशासन नींद से जागेगा?
झांसी में कचरा प्रबंधन की यह बदहाल स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं का गिरता स्तर सरकार और नगर निगम प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है।
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर इन मुद्दों का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन सही मायने में कोई ठोस कार्रवाई करेगा, या फिर यह केवल एक और राजनीतिक बयान बनकर रह जाएगा?