भारत बना BIMSTEC Summit 2025 का नेतृत्वकर्ता, पीएम मोदी ने रखे अहम प्रस्ताव

News Desk
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BIMSTEC Summit 2025

BIMSTEC Summit 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लिया

थाईलैंड में हो रहे छठे बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन (bimstec summit) में भारत की मजबूत उपस्थिति देखने को मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए कई बड़े और प्रभावशाली प्रस्ताव रखे, जो इस क्षेत्र के व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और आपसी संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले हैं।

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BIMSTEC Summit 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लियाबिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मोदी का दमदार संबोधनUPI से जुड़ेगा BIMSTEC क्षेत्र, भारत ने दिया डिजिटल पावर का मंत्रसुरक्षित हिंद महासागर, व्यापारिक नौवहन और समुद्री परिवहन में सुधारबिम्सटेक का विजन 2030 और भारत की नेतृत्वकारी भूमिकाभारत बना बिम्सटेक का पावरहाउस, क्यों है भारत का दबदबा?भारत ने बिम्सटेक में अपने नेतृत्व को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:बिम्सटेक कार्यक्षेत्र को सात भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें भारत सुरक्षा क्षेत्र का नेतृत्व कर रहा है। अन्य सदस्य देश अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं:भारत की अगुवाई में बिम्सटेक का भविष्य उज्जवलनिष्कर्ष: भारत बना बिम्सटेक का इंजन

प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक देशों को यूपीआई (UPI) से जोड़ने, व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने और बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना करने का प्रस्ताव दिया। इन पहलों से व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने भारत में बिम्सटेक आपदा प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र और सतत समुद्री परिवहन केंद्र की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।

बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मोदी का दमदार संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत म्यांमार और थाईलैंड में आए विनाशकारी भूकंप में हुए जान-माल के नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए की। उन्होंने इस आपदा से निपटने के लिए भारत में बिम्सटेक आपदा प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया, जिससे क्षेत्र में आपदा तैयारी, राहत और पुनर्वास कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके।

पीएम मोदी ने कहा, “बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह क्षेत्रीय सहयोग और समृद्धि के लिए एक मजबूत मंच बन रहा है। हमें इसे और प्रभावी बनाने के लिए इसके दायरे और क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है।”

उन्होंने बिम्सटेक के तहत गृह मंत्रियों की बैठक को संस्थागत रूप देने और इसकी पहली बैठक भारत में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। पीएम मोदी ने इस मंच को साइबर अपराध, आतंकवाद, मानव तस्करी और नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए एक प्रभावी माध्यम बनाने पर जोर दिया।

BIMSTEC Summit 2025

 

UPI से जुड़ेगा BIMSTEC क्षेत्र, भारत ने दिया डिजिटल पावर का मंत्र

डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक (BIMSTEC Summit 2025) देशों को भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यूपीआई को बिम्सटेक क्षेत्र की भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने से व्यापार, उद्योग और पर्यटन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

उन्होंने बिम्सटेक में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन का भी प्रस्ताव रखा, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम होगी और व्यापारिक लेनदेन को सुगम बनाया जा सकेगा।

सुरक्षित हिंद महासागर, व्यापारिक नौवहन और समुद्री परिवहन में सुधार

प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि “स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर हमारी साझा प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने बताया कि आज हुए समुद्री परिवहन समझौते से व्यापारिक नौवहन और माल परिवहन में सहयोग मजबूत होगा।

इसके साथ ही भारत में एक सतत समुद्री परिवहन केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा गया, जो समुद्री नीतियों में क्षमता निर्माण, अनुसंधान, नवाचार और समन्वय पर ध्यान केंद्रित करेगा।

बिम्सटेक का विजन 2030 और भारत की नेतृत्वकारी भूमिका

थाईलैंड में हो रहे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और भूटान के नेता भी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान बिम्सटेक के सदस्य देशों ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समृद्धि, सुरक्षा और समावेशिता को बढ़ाने के लिए बैंकॉक विजन 2030 को अपनाया।

इस विजन में बिम्सटेक (BIMSTEC Summit) देशों के बीच बेहतर संपर्क, व्यापार सहयोग, समुद्री सुरक्षा, डिजिटल प्रगति और सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया गया है। भारत इस योजना में मुख्य नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।

भारत बना बिम्सटेक का पावरहाउस, क्यों है भारत का दबदबा?

बिम्सटेक (BIMSTEC Summit) देशों में भारत का दबदबा लगातार बना हुआ है। इस समूह के विकास में प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत बिम्सटेक  के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभा रहा है और पीएम मोदी की ‘पड़ोस पहले नीति’, ‘एक्ट ईस्ट नीति’, ‘महासागर विजन’ और ‘इंडो-पैसिफिक विजन’ जैसे कदम इस संगठन को नई गति दे रहे हैं।

भारत ने बिम्सटेक में अपने नेतृत्व को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

राजनयिक इंद्र मणि पांडे को महासचिव नियुक्त किया।

बिम्सटेक (BIMSTEC )सचिवालय को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता दी।

बिम्सटेक (BIMSTEC )के विभिन्न कार्यक्षेत्रों को सात भागों में बांटकर प्रत्येक सदस्य देश को एक क्षेत्र की जिम्मेदारी दी।

बिम्सटेक में भारत की भूमिका: सुरक्षा से लेकर व्यापार तक हर क्षेत्र में अग्रणी

बिम्सटेक कार्यक्षेत्र को सात भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें भारत सुरक्षा क्षेत्र का नेतृत्व कर रहा है। अन्य सदस्य देश अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं:

  • भारत – सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी कार्य
  • बांग्लादेश – व्यापार, निवेश और विकास
  • भूटान – पर्यावरण और जलवायु
  • म्यांमार – कृषि और खाद्य सुरक्षा
  • नेपाल – लोगों के बीच संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
  • श्रीलंका – अंतरिक्ष, विज्ञान और नवाचार
  • थाईलैंड – कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास

भारत की अगुवाई में बिम्सटेक का भविष्य उज्जवल

बिम्सटेक को गति देने में भारत की भूमिका निर्विवाद रूप से प्रमुख रही है। भारत की डिजिटल ताकत, आर्थिक शक्ति और कूटनीतिक नीतियों के चलते यह समूह तेजी से आगे बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बिम्सटेक (BIMSTEC ) के सदस्य देश भारत के नेतृत्व में डिजिटल क्रांति, व्यापार में सुधार और समुद्री सहयोग को अपनाते हैं, तो यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक निर्णायक आर्थिक और रणनीतिक ताकत बन सकता है।

निष्कर्ष: भारत बना बिम्सटेक का इंजन

थाईलैंड में हुए इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में भारत ने अपनी कूटनीतिक, आर्थिक और तकनीकी शक्ति का लोहा मनवाया। पीएम मोदी के प्रस्ताव डिजिटल पेमेंट, व्यापार, समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को नए आयाम देने वाले हैं।

बिम्सटेक का भविष्य भारत के नेतृत्व में आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी रूप से और मजबूत होने जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की पहल पर सदस्य देश किस हद तक सहयोग बढ़ाते हैं और बिम्सटेक को वैश्विक मंच पर एक नई ऊंचाई तक पहुंचाते हैं।

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