Mahant Rajendra Puri ने कहा देवर्षि नारद भक्तों एवं भगवान के बीच संबंध बनाते हैं
कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र को भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली एवं ऋषि मुनियों व संतों की तपोभूमि कहा जाता है। कुरुक्षेत्र के जग ज्योति दरबार में Mahant Rajendra Puri द्वारा शुरू की गई अखंड अग्नि तपस्या के दूसरे दिन भी भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे। चिलचिलाती धूप में तपस्या कर रहे Mahant Rajendra Puri ने कहा कि वे तो करीब दो दशक से राष्ट्रहित एवं जनकल्याण के अग्नि तपस्या करते हैं। उनकी कामना है कि विश्व भर में आपसी भाईचारा बने।
विश्व की जो वर्तमान परिस्थितियां बनी हुई हैं उन का समाधान हो व विश्व शांति का वातावरण बने। विश्व में जो युद्ध की स्थिति है उससे मुक्ति मिले। भारत विश्व में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि मानव समाज में हमेशा आपसी भाईचारा बना रहना चाहिए। यह संत महापुरुषों द्वारा विश्व में सनातन को मजबूत करने से ही संभव है।

Rajendra Puri ने कहा कि संत महापुरुष जो तपस्या व पूजन करते हैं उससे हमेशा समाज का भला चाहते हैं। Mahant Rajendra Puri अपने चारों तरफ अग्नि के पांच धूणों के बीच निरंतर तपस्या करते हुए जन कल्याण की प्रार्थना करते हैं। प्रतिदिन तपस्या के साथ धीरे धीरे आग के ढेरों की ऊंचाई भी बढ़ती जाती है। भीषण गर्मी के इस मौसम में यदि किसी को थोड़ी देर धूप में रहना पड़ जाए तो हालत खराब हो जाती है। ऐसे में Mahant Rajendra Puri की कठोर तपस्या का अनुमान लगाया जा सकता है।
Mahant Rajendra Puri ने भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद की जयंती पर दी शुभकामनाएं
मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में सत्संग करते हुए अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष Mahant Rajendra Puri ने देवर्षि नारद जयंती पर सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु के परम भक्त और ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक देवर्षि नारद की जयंती आज शुक्रवार को मनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को देवर्षि नारद का जन्म हुआ था।
सत्संग में Mahant Rajendra Puri ने कहा कि पुराणों और पौराणिक कथाओं के अनुसार देवर्षि नारद को सार्वभौमिक ईश्वरीय दूत के रूप में जाना जाता है। क्योंकि उनका मुख्य कार्य देवताओं के बीच सूचना पहुंचाना ही रहा है। हाथ में वीणा लेकर पृथ्वी से लेकर आकाश लोक, स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक से लेकर पाताल लोक तक हर प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के कारण देवर्षि नारद मुनि को ब्रह्मांड के पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है।
Mahant Rajendra Puri कहा कि भगवान नारायण के ही भक्त नारद का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भक्त की पुकार को भगवान तक पहुंचाना है। भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इस अवसर पर स्वामी पृथ्वी पुरी, स्वामी संतोषानंद, बिल्लू पुजारी, दर्शन, अनुप्रिया गुप्ता, वसुंधरा, रेवती बंसल, लाभ सिंह व अनमोल इत्यादि भी मौजूद रहे।
कुरुक्षेत्र से अश्विनी वालिया
Facebook: @Aanchalikkhabre
Twitter: @Aanchalikkhabre
इसे भी पढ़े- डीएलएसए के leprosy जागरूकता शिविरों के माध्यम से आमजन को मिल रही है जानकारी