Trump Reciprocal Tarrif, क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ, भारत पर क्या पड़ेगा प्रभाव इसका?

News Desk
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Reciprocal Tarrif

Donald Trump के ‘Reciprocal Tariffs’ का भारत पर प्रभाव: क्या कहती हैं नई व्यापार नीतियाँ?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान ‘रेसिप्रोकल टैरिफ‘ (Reciprocal Tariff) नीति को लागू करने का वादा किया था, और अब इस प्रस्ताव को उनके संभावित दूसरे कार्यकाल के एजेंडे में प्रमुखता दी जा रही है। ट्रंप के इस फैसले से भारत समेत कई देशों के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है। ट्रंप प्रशासन के अनुसार, अमेरिका में उन देशों से आयातित वस्तुओं पर समान टैरिफ लगाया जाएगा, जो अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं। इस नीति के अंतर्गत भारत भी प्रभावित देशों की सूची में शामिल है।

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रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?

रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) का अर्थ है कि यदि कोई देश अमेरिका के निर्यातित उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। ट्रंप का दावा है कि यह नीति अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगी और अमेरिकी कंपनियों को समान प्रतिस्पर्धा का अवसर प्रदान करेगी।

Trump Tarrif : ट्रंप के टैरिफ से भारत पर क्या असर होगा?

1. भारतीय निर्यात पर प्रभाव:

भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में वस्त्र, दवाएं, आईटी सेवाएं, रत्न एवं आभूषण निर्यात करता है। अगर ट्रंप प्रशासन Reciprocal Tariffs India लागू करता है, तो इन उत्पादों पर 20-25% तक अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। इससे भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मुश्किल हो सकती है।

2. स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर:

भारत में निर्मित स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया जाता है। ट्रंप के नए टैरिफ से भारत की कंपनियों को नुकसान हो सकता है और अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है।

3. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर प्रभाव:

भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियां अमेरिका को कई प्रकार के वाहन पार्ट्स और तैयार वाहन निर्यात करती हैं। अगर ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाया, तो भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियों को भारी झटका लग सकता है।

4. फार्मा सेक्टर को राहत:

हालांकि, भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए राहत की खबर यह है कि दवा उद्योग पर ट्रंप के Reciprocal Tariffs का सीमित प्रभाव पड़ेगा। अमेरिका भारतीय दवाओं का सबसे बड़ा आयातक है, और उच्च टैरिफ लगाने से अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है। इस कारण, संभावना है कि ट्रंप प्रशासन भारतीय फार्मास्यूटिकल्स को छूट दे सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में बदलाव

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों ने पहले भी इन संबंधों में खटास डाली थी। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने भारत को ‘Generalized System of Preferences’ (GSP) कार्यक्रम से बाहर कर दिया था, जिससे भारत को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ।

अब यदि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं और ‘Reciprocal Tariffs’ नीति लागू करते हैं, तो भारत के लिए यह एक नई चुनौती होगी। भारत सरकार को अपने निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं तेज करनी होंगी।

क्या भारत को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए?

यदि ट्रंप प्रशासन भारत पर उच्च टैरिफ लगाता है, तो भारतीय सरकार भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकती है। पहले भी, जब अमेरिका ने भारत के इस्पात और एल्युमिनियम उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, तो भारत ने भी अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया था।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को जवाबी टैरिफ लगाने से पहले कूटनीतिक समाधान तलाशना चाहिए। दोनों देशों के व्यापारिक हित आपस में जुड़े हुए हैं, और किसी भी प्रकार की व्यापारिक जंग से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो सकता है।

अमेरिका में ट्रंप की नीति पर मतभेद

हालांकि ट्रंप प्रशासन Reciprocal Tariffs को अमेरिका के हित में बता रहा है, लेकिन अमेरिका के अंदर ही इस पर मतभेद हैं। कई अमेरिकी उद्योग संगठन और कंपनियां इस नीति का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उनके व्यापारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं।

विशेष रूप से, टेक इंडस्ट्री और खुदरा व्यापार कंपनियां चिंतित हैं कि भारत और अन्य देशों पर उच्च टैरिफ लगाने से उनके उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा।

डोनाल्ड ट्रंप की ‘Reciprocal Tariffs’ नीति भारत सहित कई देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है। यदि यह नीति लागू होती है, तो भारत के कई प्रमुख उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

भारत सरकार को अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत करके अपने निर्यातकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत होगी। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों को नए बाजारों की तलाश करनी होगी ताकि वे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से बच सकें।

अभी यह देखना बाकी है कि अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की वापसी होती है या नहीं, लेकिन अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो ‘Reciprocal Tariffs India‘ का असर भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर लंबे समय तक दिखाई दे सकता है।

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