निसिंग और करनाल से Devotees की एक बस नगर पालिका पार्षद सतीश गोयल के नेतृत्व में गंगा सागर तीर्थ यात्रा के लिए रवाना
निसिंग। निसिंग और करनाल से Devotees की एक बस समाजसेवी एवं नगर पालिका पार्षद सतीश गोयल के नेतृत्व में गंगा सागर तीर्थ यात्रा के लिए रवाना हुई। सतीश गोयल ने नारियल तोड़ कर और प्रसाद वितरित कर बस को भारत भ्रमण के लिए रवाना किया।
समाजसेवी सतीश गोयल ने बताया कि है कि सन् 1980 से भारत के कोने-कोने में धार्मिक स्थलों की यात्रा कर चुके है और 1996 से बाबा अमरनाथ पर लंगर लगाते है। गोयल ने बताया कि मैं अब तक भारत सहित अन्य बारह देशों का भ्रमण कर चुका हूं। जिसमें आज हमारे साथी Devotees भारत भ्रमण यात्रा पर जा रहे हैं।

जैसे कहां जाता है कि सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। सभी तीर्थों में कई बार यात्रा का जो पुण्य होता है वह मात्र एक बार गंगा सागर में स्नान और दान करने से प्राप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार गंगा सागर में एक डुबकी लगाने से 10 अश्वमेघ यज्ञ एवं एक हजार गाय दान करने का पुण्य मिलता है। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा शिव की जटा से निकलकर चलकर ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी।
यहां गंगा कपिल मुनि के श्राप के कारण मृत्यु को प्राप्त राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को सद्गति प्रदान करके सागर मिल गई। इसलिए इस स्थान को गंगा सागर संगम भी कहा जाता है। जहां प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था उस स्थान पर कपिल मुनि का एक मंदिर भी है। यहां की जमीन का एक बड़ा हिस्सा चार साल में एक बार नज़र आता है अन्य दिनों में यह सागर में लीन रहता है। समाजसेवी सतीश गोयल ने कहा कि धार्मिक स्थलों और तीर्थों को ऊर्जा का केन्द्र माना जाता है।
जो ऊर्जा इन जगहों पर रहती है, वह और कहीं नहीं पाई जाती। यही कारण है कि इन स्थानों पर जाकर मनुष्य का मन शांत और ऊर्जावान हो जाता है। इन स्थानों पर जाने वाला व्यक्ति हमेशा ऊर्जा और सकारात्मक सोच से भरा होता है। धार्मिक स्थलों की यात्रा स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है, क्योंकि जिस जगह पर यह होते हैं, वहां का वातावरण स्वच्छ होता है।
यात्रा के दौरान कई जगहों का इतिहास और महत्व Devotees को जानने का मौका मिलता है
ऐसे कई स्थानों पर सीढ़ियां भी होती ही हैं,जिन पर चढ़ने-उतरने से और भजन-कीर्तन में तालियों के साथ गाने से हथेली और तलवे पर दबाव पड़ता है, जो एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है। उन्होंने बताया कि सेहत के साथ-साथ तीर्थ यात्रा हमारा आध्यात्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक ज्ञान भी बढ़ाती है।
यात्रा के दौरान कई जगहों का इतिहास और महत्व Devotees को जानने का मौका मिलता है। साथ ही उस जगह से जुड़ी कला, संस्कृति, परंपरा आदि के बारे में भी यात्री को ज्ञान मिलता है। समाजसेवी सतीश गोयल ने कहा कि तीर्थ यात्रा में अपने घर-परिवार के अलावा भी अन्य लोगों के संपर्क में आते हैं, जिससे जान-पहचान में वृद्धि होती है।
इसकी वजह से हमें कई संस्कृति, रीति -रिवाज और खान-पान आदि के बारे में जानने का मौका मिलता है। साथ ही मनुष्य हर परिस्थिति में रहना और दूसरों के प्रति अपनेपन का भाव सिखाता है।
जोगिंद्र सिंह, निसिंग
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