जनशक्ति आवाज मंच ने इंद्री कोर्ट परिसर में Haryana के अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर बैठक बुलाई
निसिंग। जनशक्ति आवाज मंच ने इंद्री कोर्ट परिसर में Haryana के अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर बैठक बुलाई। बैठक में रणधीर सिंह बधरlन पूर्व चेयरमैन बार काउंसिल पंजाब एवं Haryana चंडीगढ़,रणबीर सिंह ढांडा अध्यक्ष बार एसोसिएशन इंद्री, नवीन कंबोज सचिव बार एसोसिएशन, रविकांत एडवोकेट, यादविंदर श्योराण एडवोकेट, भारत भूषण एडवोकेट, परवीन बधरान एडवोकेट, मंदीप सिंह राय एडवोकेट, शिव राम एडवोकेट, सिद्धांत सिंहमार एडवोकेट, जीतेंद्र बधरान एडवोकेट, नरेंद्र बधरान एडवोकेट, धरम सिंह संधू एडवोकेट, परवीन शर्मा एडवोकेट, धर्मवीर मंधान एडवोकेट, देव कुमार एडवोकेट, माई चंद एडवोकेट, सतबीर कंबोज एडवोकेट, सुखबीर एडवोकेट, रजनीश मंधान एडवोकेट, प्रवीण बधरान और सामाजिक कार्यकर्ता ऋषि पाल कलसोरा, मुनीश तिवाणा, बलिंदर सिंह मंधान सहित अन्य भी उपस्थित थे।
![Haryana अलग उच्च न्यायालय के मुद्दे पर अधिवक्ता करेंगे भूख हड़ताल 2 Haryana के अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर बैठक बुलाई](https://aanchalikkhabre.com/wp-content/uploads/2024/01/IMG-20240110-WA0047.jpg)
एडवोकेट सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ मंच के कई अन्य सदस्यों ने भाग लिया। अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक विचारकों और वादकारियों की पूर्ण भागीदारी के साथ Haryana के सभी जिलों और उपमंडलों में नियमित बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
यह भी निर्णय लिया गया है कि अब जनशक्ति आवाज मंच के पदाधिकारी भी मांग स्वीकार होने तक पूरे Haryana में प्राथमिकता के आधार पर भूख हड़ताल शुरू करेंगे। अब मंच ने अलग उच्च न्यायालय और हरियाणा की नई राजधानी के मुद्दे पर एक संगठन बनाने का भी निर्णय लिया है और इसमें Haryana के महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य संप्रदायों को भी शामिल किया जाएगा।
मंच के वकील हरियाणा और पंजाब की अलग बार काउंसिल की भी मांग कर रहे हैं और अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग कर रहे हैं।
अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए Haryana में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है
कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए Haryana में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है। यह भी संकल्प लिया गया कि 10 दिनों में प्रत्येक उपखण्ड में समाज के सभी संप्रदायों की पूर्ण भागीदारी वाला उचित संगठन गठित किया जाएगा।
अलग उच्च न्यायालय के मुद्दे पर अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हरियाणा, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, हरियाणा के राज्यपाल, हरियाणा के विपक्ष के नेता और हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से भी मिलेगा।
रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14,25,047 से अधिक मामले हरियाणा के जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और 6,19,2,192/ से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। अनुमान है कि हरियाणा के 45 लाख से अधिक लोग मुकदमेबाजी में शामिल हैं और अधिकांश वादकारी मामलों के निपटारे में देरी के कारण प्रभावित होते हैं।
त्वरित निर्णय के मुद्दे हरियाणा के वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है। मंच की हरियाणा की सीमा के भीतर एक और नई राजधानी की मांग भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
जोगिंद्र सिंह, निसिंग
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