भगवान Shri Ram के जीवन में अनेक दुख आने पर भी उन्होंने न तो कभी धैर्य छोड़ा और न ही कभी मर्यादा का उल्लंघन किया
कुरुक्षेत्र : भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से उत्पन्न पावन गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी में पौष माह में चल रही श्री मद भागवत कथा के अवसर पर व्यासपीठ से विख्यात कथा वाचक कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली ने समुद्र मंथन, श्री बलि वामन प्रसंग, भगवान श्री राम जन्म व श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंगों की चर्चा की।
यह कथा सीता (सहचरी दासी) एवं वैष्णव परिवार द्वारा श्री गीता धाम में श्रद्धा से आयोजित की गई है। कथा प्रारम्भ से पूर्व श्री गीता धाम से माता श्री एवं अन्य श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ पूजन किया। रसमयी वाणी में कथावाचक कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली ने कथा बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
आज का इंसान भगवान Shri Ram का एक चरित्र भी अपने जीवन में उतार ले तो उसकी जिदगी सफल हो सकती है। भगवान राम के जीवन में अनेक दुख आने पर भी उन्होंने न तो कभी धैर्य छोड़ा और न ही कभी मर्यादा का उल्लंघन किया।
इसीलिए प्रभु Shri Ram को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने श्री बलि, भगवान वामन तथा श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। जन्मोत्सव के अवसर पर पूरे कथा पंडाल को सजाया गया और बाल गोपाल का जन्म होते ही सभी श्रद्धालु खुशी से झूम उठे। चौथे दिन की कथा समापन पर आरती की गई व प्रसाद वितरित किया गया।
अश्विनी वालिया, कुरुक्षेत्र
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